Saturday, June 21, 2025
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इंटरार्क कंपनी प्रबंधन ने प्रशासन पर लगाया कोर्ट के आदेशों के उल्लंघन करने का आरोप

भोंपूराम खबरी,रुद्रपुर। ऊधमसिंहनगर के पंतनगर सिडकुल में स्थिति इंटरार्क कंपनी में तालाबंदी अवैध घोषित होने के बाद कर्मचारियों का वेतन भुगतान नहीं करने पर जिला प्रशासन ने कंपनी का बैंक खाता सीज कर दिया है। कंपनी की कुल संपत्ति का मूल्यांकन करने के लिए डीएम के निर्देश पर पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। तहसीलदार की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने पंतनगर व किच्छा स्थित कंपनी के दो ठिकानों पर पहुंचकर मूल्यांकन कार्य भी किया।इधर कंपनी प्रबंधन की तरफ से प्रशासन पर कोर्ट के आदेशों के उल्लंघन और कार्यवाही में जल्दबाजी का आरोप लगाया गया है।

पंतनगर सिडकुल में कंस्ट्रक्शन कार्य में स्टील व लोहे के उत्पाद बनाने वाली इंटरार्क कंपनी के श्रमिक लंबे समय से कई मांगों को लेकर आंदोलित हैं। कर्मचारियों का आरोप है कि वेतनवृद्धि सहित कई मांगों को मानने के बजाय कंपनी ने अवैध रूप से कर्मचारियों की तालाबंदी कर दी। इसे श्रम सचिव ने अवैध करार देते हुए तीन माह का वेतन देने का आदेश दिया है।

सहायक श्रम आयुक्त अरविंद सैनी ने बताया कि तीन माह का कुल वेतन 1.84 करोड़ रुपये का भुगतान अभी तक कंपनी ने नहीं किया है। ऐसे में डीएम युगल किशोर पंत ने कंपनी से रिकवरी करने का नोटिस भेजा है। इसमें कहा गया है कि यदि धनराशि का भुगतान नहीं होगा तो कंपनी की संपत्ति का मूल्यांकन कर उसे कुर्क किया जाएगा।

इस क्रम में कंपनी का बैंक खाता पहले ही सीज कर दिया गया है। शनिवार को कमेटी सदस्यों तहसीलदार नीतू डागर, सहायक श्रम आयुक्त अरविंद सैनी, उद्योग महाप्रबंधक चंचल सिंह बोहरा, लोनिवि के अधिशासी अभियंता जितेंद्र, क्षेत्रीय प्रबंधक सिडकुल कमल कफल्टिया ने कंपनी की संपत्ति का मूल्यांकन किया। तहसीलदार ने बताया कि अभी तक कंपनी से संपत्ति के कागजात नहीं मिल सके हैं, जिसे लेकर कार्रवाई की जा रही है। कंपनी के एचआर हेड बीबी श्रीधर ने इस संबंध में कंपनी ने इस कार्रवाई को हाईकोर्ट के आदेश की अवहेलना करार दिया है।

उन्होंने बताया कि शनिवार को जिला प्रशासन कमेटी के सदस्य कंपनी में पहुंचे थे। हाईकोर्ट के स्थगन आदेश को दिखाया तो सर्टीफाइड कॉपी मांगने लगे। वहीं, प्रशासन ने कंपनी के बैंक खाते पर भी रोक लगा दी है। हाईकोर्ट के आदेश के संबंध में पत्र देने पर जांच कमेटी ने रिसीविंग देने से मना कर दिया गया है। अब वही पत्र डाक के माध्यम से भेजा गया है। उन्होंने बताया कि उन्होंने हाईकोर्ट के फैसले की सर्टीफाइट कापी मिल गयी है।जिसे प्रशासन को सौंपकर कोर्ट के आदेश की जानकारी दी जाएगी।

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