Wednesday, June 25, 2025
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वीर बलिदान दिवस की घोषणा सिक्ख व पंजाबी समाज का अविस्मरणीय सम्मान – चुघ

भोंपूराम खबरी,रुद्रपुर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सिक्ख समाज के दसवें गुरु श्री गुरु गोविंद सिंह जी महाराज के प्रकाश पर्व पर शीश नवाते हुए उनके साहिब जादों के धर्म की रक्षा के लिए शहीद होने पर उन्हें नमन करते हुए उनकी स्मृति में शहीदी दिवस को देश में वीर बलिदान दिवस के रूप में मनाए जाने की घोषणा करना सिक्ख व पंजाबी समाज का अविस्मरणीय सम्मान है। जिसके लिए सिक्ख समाज के साथ पंजाबी समाज हमेशा उन्हें याद रखेगा। युवा पंजाबी महासभा के प्रदेश अध्यक्ष एवं भाजपा चुनाव प्रबन्धन समिति के प्रदेश सहसंयोजक भारत भूषण चुघ ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी हमेशा सिक्ख समाज व सिक्ख समाज के परम सम्माननीय गुरुओं का सम्मान करते आये हैं। जो विपक्षी दलों को सहन नहीं होता और वह दूषित राजनीति का सहारा लेकर समाज के लोगों को भ्रामक बातों से गुमराह करने का भरसक प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा सिक्ख समाज के सम्मानीय गुरुओं ने सभी को बुरे कार्यों से दूर रहकर अपने जीवन को दूसरों की सेवा करने में समर्पित करने का सन्देश दिया है। श्री चुघ ने कहा प्रधानमंत्री श्री मोदी के प्रयासों से ही पाकिस्तान स्थित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के दर्शन के लिए सिक्ख समाज के लोगों के जाने का मार्ग प्रशस्त हुआ। इस अविस्मरणीय कार्य पर भी विपक्षी दलों ने राजनीति की। ऐसे दल कभी भी यह नहीं चाहते है कि सिक्ख व पंजाबी समाज भाजपा के नजदीक आये। जबकि प्रधानमंत्री श्री मोदी ने हमेशा राजनीति लाभ की भावना से दूर रहकर हर समाज के लोगों की भलाई के लिए कार्य किया है। उन्होंने कहा देश के अन्नदाता किसानों के हितों को प्राथमिकता देकर कई लाभकारी योजनाएं चलाई जा रही हैं। श्री चुघ ने कहा कि जिस तरह गुरु गोबिंद सिंह जी महाराज के साहिबजादों ने सिक्ख धर्म के सिद्धांतों की रक्षा के लिए स्वयं को बलिदान किया। हर वीर बलिदान दिवस पर शहीद साहिबजादों के बलिदान से प्रेरणा लेकर समाज के हर व्यक्ति को देश व समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों के लिये स्वयं को समर्पित करना होगा। श्री चुघ ने कहा कि सिक्ख समाज का इतिहास धर्म, देश व समाज की रक्षा के लिए दिये गये बलिदानों की गाथाओं से भरा हुआ है। आज भी देश की रक्षा के लिए भारी संख्या में सिक्ख व पंजाबी समाज के सैनिक अपने अन्य साथी सैनिकों के साथ सीमाओं पर दिनरात डटे हुए हैं।

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