Saturday, June 21, 2025
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एआरटीओ कार्यालय में दलालों की पौबारह

भोंपूराम खबरी,रुद्रपुर। उधम सिंह नगर जिला मुख्यालय रुद्रपुर स्थित सहायक संभागीय परिवहन कार्यालय दलालों का अड्डा बन गया है। लाइसेंस बनवाने से लेकर गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन कराने तक और पुराने लाइसेंसों का नवीनीकरण कराने का काम कार्यालय में अधिकांशतः दलालों के माध्यम से ही हो पाता है। जो लोग दलालों के माध्यम से काम नहीं कराते हैं उनका काम लम्बे समय तक लटका रहता है। यह हालात तब हैं जब बीते साल तत्कालीन जिलाधिकारी नीरज खैरवाल ने यहाँ अचानक छापा मारकर कई दलालों की गाड़ियाँ, दस्तावेज़ और यहाँ तक कि प्रिंटर मशीनें भी जब्त कर ली थी।

कलक्ट्रेट स्थित सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी का कार्यालय खुलने से पहले ही बाहर दलालों की भीड़ लगने लगती है। यह दलाल कार्यालय के आसपास अपनी पेड़ों के नीचे अपनी गाड़ियाँ खड़ी कर देते हैं और इन्हीं गाड़ियों से ऑपरेट करते हैं। इनकी कारों में फ़ोटोस्टेट मशीन, आरटीओ से जुड़े तमाम फॉर्म और दस्तावेज़ मौजूद रहते हैं। यहीं ग्राहकों से मोल-भाव किया जाता है और काम ले लिया जाता है। लर्निंग के बाद लाइट का लाइसेंस बनाने के लिए दलालों द्वारा लाइसेंस देने के नाम पर दो हजार से लेकर चार हजार रुपये तक लिए जा रहे हैं। लाइट के लाइसेंस को हैवी कराने के लिए 10 हजार रुपये तक दलाल ठग लेते हैं। सूत्रों के अनुसार इस गोरखधंधे में सहायक संभागीय परिवहन कार्यालय के अधिकारी और बाबू बराबर के हिस्सेदार होते हैं। एक दलाल ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि विभागीय अधिकारी और बाबूओं के आशीर्वाद से फलफूल रहा हूं। दिनभर में पांच से दस हजार हजार रुपये पैदा करना छोटी बात है। पांच हजार पैदा हो गए तो ढाई हजार विभाग के अधिकारी और बाबू ले लेते हैं, फिर भी आधा बच जाता है। जबकि बुधवार को एआरटीओ से लर्निग का लाइसेंस बनवाने गए आदर्श यादव का कहना था कि दो माह से भटक रहा हूं। उन्होंने कहा कि वह ड्राइवरी कर अपना परिवार पालना चाहते हैं। उन्हें बताया गया था कि 310 रुपये खर्च होंगे। परंतु यहां तो अधिकारी-बाबू किसी की सुनते ही नहीं हैं और दलाल चार हजार रुपये मांग रहे हैं, कैसे लाइसेंस बन पाएगा?

एआरटीओ पूजा नयाल का कहना था कि उनके कार्यालय के भीतर दलालों का प्रवेश निषेध है। वह व्यक्तिगत रूप से सभी प्रार्थियों की समस्याएँ और कार्य सुलझाती हैं। कार्यालय के बाहर खड़े होने वाले दलालों के बारे में उनका कहना था कि वह फोटोस्टेट करने वाले लोग हैं न कि दलाल। दलालों का बचाव करती एआरटीओ हालाँकि इस बाबत कोई जवाब नहीं दे पायी कि बीते साल यहाँ पड़े छापे के दौरान आखिर क्यों इन तथाकथित फोटोस्टेट करने वाले लोगों की गाड़ियाँ डीएम खैरवाल ने जब्त करवाई थी।

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