भौंपूराम खबरी, रुद्रपुर। अमूमन प्यार के इज़हार में चाँद-तारे तोड़कर लाने की बात कहने से लेकर महंगे उपहार खरीदने वाले प्रेमी युगल इस वैलेंटाइन सप्ताह पर तंगी से जूझते लग रहे हैं। सात फरवरी रविवार से वेलेंटाइन वीक शुरू हुआ था। पहला दिन ‘रोज डे’ होने के बावजूद शहर के फूल विक्रेताओं के चेहरे मुरझाये हुए थे। सोमवार को ‘प्रपोज डे’ पर भी फूलों की बिक्री के कोई उछाल नहीं दिखा। वहीं मंगलवार और बुधवार को भी फूलों की बिक्री में कोई उछाल नहीं आया। हजारों रुपये का माल भरकर गाँधी पार्क के पास बैठे दर्जनों फूलवालों के चेहरे पर मायूसी साफ़ देखी जा सकती है।
इजहारे मोहब्बत पर कड़की की मार
प्रेम के पर्व के रूप में विख्यात वैलेंटाइन सप्ताह शुरू हुए चार दिन हो चुके हैं। मगर बीते सालों के मुकाबले इस साल लोगों में इजहारे मोहब्बत के इस हफ्ते को लेकर उत्साह नहीं दिख रहा है। शहर के माल्स में भीड़ नहीं है और यहाँ तक कि दुकानों पर गिफ्ट आइटम्स भर कर इस सप्ताह कमाई करने की मंशा पाले बैठे दुकानदारों के भी चेहरे उतरे हुए हैं। गाँधी पार्क में फूलों की दूकान चलाने वाले संजीव कुमार ने कहा कि कोरोना और उसके कारण लगे लॉकडाउन ने लोगों की क्रयशक्ति कम कर दी है। फूलों की बिक्री पिछले साल की तुलना में आधी रह गयी है। गाँधी पार्क पर सजने वाले शहर के सबसे बड़े फूलों के बाजार में सन्नाटा पसरा हुआ है। बीते साल तक गुलजार रहने वाली यह मार्किट अब ग्राहकों को तरसती महसूस हो रही है।
वही फूल विक्रेता खालिद मोहम्मद का कहना है कि ऐसा लगता है जैसे लोग खर्च ही नहीं करना चाहते। कभी वैलेंटाइन सप्ताह में चालीस रुपये की बिकने वाली गुलाब की कली का आज पंद्रह रुपये में भी खरीददार नहीं है। गेंदे के फूलों की तो और बुरी हालत है और बीते दो दिन में एक लड़ी भी नहीं बिकी है। राजू सिंह ने बताया कि फूल के साथ साथ गुलदस्तों की बिक्री में भी काफी कमी आयी है। पहले 200 से लेकर 300 रुपये के गुलदस्ते आसानी से बिक जाते थे पर अब 100 रुपये के गुलदस्ते भी काफी मुश्किल से बिक पाते है।
साथ ही फूल कारोबारी अशोक कुमार ने बताया कि दीपावली में दुकानदारी अच्छी हुई थी। पर बीते दो महीनों से भव्य शादियाँ और आयोजनों में सीमित लोगों के होने के कारण कारोबार वैसे ही चौपट हो चला था। अब वैलेंटाइन सप्ताह में लोगों की तंग आर्थिक हालत ने रही-सही कसर पूरी कर दी है।
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