भोंपूराम खबरी, रूद्रपुर। पार्टी विद डिफरेंस कही जाने वाली भारतीय जनता पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में कोई कोताही बरतने के मूड में नजर नहीं आ रही है। पार्टी के अंदरूनी सर्वे के बाद राज्य में कई विधायकों के टिकट कटने की आशंका है। अपने विजयी अभियान को जारी रखने के लिए पार्टी अपने वर्षों पुराने ‘सिटिंग-गेटिंग’ के फार्मूले को भी दरकिनार करने को तैयार है। यहाँ तक कि पार्टी उधम सिंह नगर जिला मुख्यालय रुद्रपुर में भी नया चेहरा उतारने पर विचार कर रही है।
गौरतलब है कि भाजपा में हमेशा से जीतने वाले विधायक को हर विधानसभा चुनाव में तवज्जो दी जाती रही है। राज्य में पार्टी के 57 विधायक हैं। इनमें से परिवहन मंत्री यशपाल आर्य के पार्टी छोड़ कांग्रेस ज्वाइन करने के साथ जहाँ उनके 56 विधायक रह गए तो उधम सिंह नगर के बाजपुर में पार्टी को आर्य के स्थान पर नया प्रत्याशी ढूंढना है। सूत्रों के अनुसार पार्टी हाईकमान मात्र बाजपुर ही नहीं बल्कि सूबे की हर सीट पर गंभीरता से सोच-विचार कर रहा है। अगर उच्च पदों पर आसीन पार्टी के अंदरूनी लोगों की मानी जाए तो इस बार उत्तराखंड में कम से कम पच्चीस सीटों पर भाजपा के सिटिंग विधायकों के स्थान पर नए प्रत्याशी देखने को मिल सकते हैं।
ऐसी ही सीट हमेशा से हॉट मानी जाने वाली 66 रुद्रपुर विधानसभा है जहाँ बीते दो बार से राजकुमार ठुकराल लगातार भाजपा से विधायक चुने जाते रहे हैं। उन्होंने दोनों बार कांग्रेस के कद्दावर नेता व पूर्व मंत्री तिलक राज बेहड़ को शिकस्त दी है। लेकिन नवंबर माह में मध्यप्रदेश से आई एक टीम के सर्वे ने ठुकराल की दावेदारी को खतरे में डाल दिया है। इस टीम के सर्वे में यह सामने आया है कि रुद्रपुर सीट भाजपा के लिए एक सुरक्षित सीट है। साल 2017 के विधानसभा चुनाव में ठुकराल की पच्चीस हजार वोटों से हुई प्रचंड जीत में भी प्रधानमंत्री मोदी के तत्कालीन दौरे को वजह बताया गया है। टीम में शामिल एक सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि रुद्रपुर सीट पर हुए सर्वे में यह साफ़ है कि ठुकराल की लोकप्रियता नहीं बल्कि भाजपा का कैडर वोट यहाँ भाजपा की जीत तय करता है। उन्होंने कहा कि ठुकराल की छवि एक बाहुबली और वाचाल विधायक की है जो पार्टी फोरम में उनके खिलाफ जा रही है। इसके अतिरिक्त चूंकि पूर्व में ठुकराल ने भाजपा से पालिकाध्यक्ष रहते हुए कार्यकाल में कांग्रेस का दामन थाम लिया था तो वह बात भी उनके हित में नहीं जा रही। ठुकराल का कई बार विबादों में फंसना भी पार्टी हाईकमान के गले नहीं उतर रहा है।
एक अन्य सदस्य ने कहा कि पार्टी नए चेहरों को मौका देकर सत्ता का विकेंद्रीयकरण करना चाहती है ताकि कोई भी प्रत्याशी स्वयं को पार्टी से ऊपर न समझे। ऐसे में पार्टी जिलाध्यक्ष शिव अरोरा और मुख्यमंत्री के करीबी माने जाने वाले युवा नेता विकास शर्मा सहित पार्टी के पूर्व जिला महामंत्री भारत भूषण चुघ का नाम काफी आगे पहुँच चुका है। विश्लेषक टीम का मानना है कि रुद्रपुर में पार्टी बेहतर स्थिति में है तो ऐसे में यहाँ से सिटिंग विधायक का टिकट काटकर पार्टी अन्य स्थानों पर भी असंतोष के स्वर दबा सकती है। वहीं रुद्रपुर में नजूल भूमि का मामला हल न होने पर चुनाव में न उतरने की ठुकराल की प्रतिज्ञा को भी पार्टी उन्हीं के खिलाफ इस्तेमाल कर सकती है। कुल मिलाकर उधम सिंह नगर जिले की राजनीति की धुरी माने जाने वाली रुद्रपुर विधानसभा सीट पर यदि इस बार भाजपा की ओर से नया प्रत्याशी देखने को मिले तो इस पर अचम्भा नहीं होना चाहिए।