भोपुराम खबरी रुद्रपुर। अब इसे स्थानीय लोगों की बदनीयत कहें या नगर निगम की लापरवाही, मगर शहर के मुख्य बाजार में करोड़ों की लागत से बना पैदल मार्ग अतिक्रमण का शिकार हो चला है। बाजार में आने वाले ग्राहकों और अन्य लोगों की सुविधा को सड़क के दोनों ओर निर्मित इन पैदल मार्गों पर शहर के व्यापारियों और फड-खोखा वालों ने कब्ज़ा कर लिया। शहर को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए उच्च न्यायालय के आदेश पर दो साल पूर्व चलाये गये वृहद् अतिक्रमण अभियान के बाद एक बार फिर से शहर का बाजार बदसूरत हो चला है।
साल 2018 में निगम ने शहर भर में अतिक्रमण हटाया था। इसके तहत सैकड़ों पक्के ढाँचे ढहा दिए गये। उद्देश्य यह था कि बाजार में आने वाले लोगों को चलने में होने वाली असुविधा को दूर किया जा सके और सरकारी जमीन को भी निजी कब्जों से मुक्त कराया जा सके। मगर निगम की लापरवाही के चलते शहर का मुख्य बाजार एक बार फिर अतिक्रमण की भेंट चढ़ गया है। दुकानें टूटने के बाद भी व्यापारियों ने सीख नहीं ली उल्टा बहुत ही चालाकी से अब पैदल मार्गों के ऊपर अस्थायी रूप से अतिक्रमण कर लिया है। मुख्य बाजार के व्यापारी इन पैदल मार्गों पर मेजें लगाकर अपने उत्पादों का डिस्प्ले करते हैं, तो बची-खुची कसर ठेला-खोखा व फड व्यवसायियों ने पूरी कर दी है। सुबह से ही इन पैदल मार्गों पर सैकड़ों की संख्या में गरम कपडे, जूते-चप्पल, सब्जी-फल आदि बेचने वाले लघु व्यवसायी कब्ज़ा कर खड़े हो जाते हैं। इनके कारण देर रात तक बाजार में बेतरतीबी रहती है और पैदल चलने वालों के लिए स्थित वही ढाक के तीन पात हो जाती है। हालत इतने खराब हो जाते हैं कि महिलाएं अब बाजार आने में कतराने लगी हैं। निगम के अधिकारी भी इस ओर आँख मूंदे बैठे हैं और लगभग नौ करोड़ की लागत से हुए बाजार के सौन्दर्यीकरण को सफ़ेद हाथी बनते देख रहे हैं।