भोंपूराम खबरी, रुद्रपुर। महाराजा अग्रसेन जयंती के समापन अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ समाजसेवी अमृत लाल जी ने जनसेवा के अपने अनुभव साझा कर उपस्थित जनसमूह को भाव विभोर कर दिया। जीवन के 75 वसंत देख चुके अमृत लाल जी का समाज सेवा का जज्बा अन्य लोगों के लिए भी एक मिसाल है।
उन्होंने बताया कि बीते 35 वर्षों से वह विपन्न परिवारों के दिव्यांग जनों की सेवा में लगे हैं। वर्षों तक राइस मिल संचालित करने के दौरान जिस तरह वह धान से छिलका छीलकर उसे चावल के रूप में चमकाते रहे ठीक इसी तरह महाराजा अग्रसेन के जीवन से प्रेरणा लेकर उन्होंने दबे-कुचले वर्ग के जीवन में प्रकाश डालने का निर्णय लिया। साठ वर्ष की आयु में उन्होंने व्यापार से निवृत्ति ले ली और अपना जीवन कमजोर तबके के रोगियों के नाम कर दिया। स्वास्थ्य सेवाओं के साथ खुद को जोड़ने के साथ उन्होंने दिव्यांगों का दर्द समझा और ऐसे लोगों को निशुल्क कृत्रिम अंग वितरित करने शुरू किये। इसके लिए उन्होंने विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म का सहारा लिया और पात्र लोगों के दर्द को बांटा। इस दौरान सोशल मीडिया के जरिये ही उन्हें 650 बच्चे ऐसे मिले जिनके दिल में छेद थे। ऐसे बच्चों का इलाज उन्होंने सत्य साईं संजीवनी अस्पताल पलवल में कराया और यह क्रम आज भी जारी है। संबोधन के दौरान उन्होंने नगर के अग्र समाज से आग्रह किया कि वह यहाँ कृत्रिम अंग वितरण कैंप लगाएं जिसमें उनके सहयोग से असहायों की मदद की जा सके। उन्होंने यह भी कहा कि यदि रुद्रपुर से कोई आगे आये तो वह इस तरह की एक फैक्ट्री यहाँ भी स्थापित कर देंगे। उन्होंने बताया कि अब दिव्यांगों के लिए वह यंत्रचालित कृत्रिम अंग अमरीका से मंगवा रहे हैं जिसके बाद दिव्यांगों का जीवन काफी आसान हो जायेगा। जीवन का फलसफा बताते अमृत लाल जी ने कहा कि खुद के चेहरे पर चमक आये तो क्या बात है, जब तुम्हारे कारण दूसरे के चेहरे पर चमक आये तो ख़ास बात है।
ज्ञात हो कि अमृत लाल जी के दशकों की जनसेवा के फलस्वरूप वह हाल ही में राष्ट्रपति द्वारा पद्मश्री पुरस्कार के लिए भी नामित हुए हैं। इससे पूर्व अग्रवाल सभा के पदाधिकारियों ने अंगवस्त्र ओढ़ाकर व स्मृति चिह्न भेंट कर अमृत लाल जी का स्वागत किया।